CONSTITUTION| भारतीय संविधान, संघात्मक ढांचे के बावजूद, एकात्मक तत्वों को भी दर्शाता है। इन तत्वों का विस्तृत विश्लेषण करते हुए, भारतीय संघीय व्यवस्था में उनकी भूमिका और महत्व का मूल्यांकन करें।

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प्रस्तावना:

भारतीय संविधान, यद्यपि संघात्मक ढांचे पर आधारित है, कुछ एकात्मक तत्वों को भी समाहित करता है। ये तत्व, राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बनाए रखने, राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने, तथा देश में शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में सहायक होते हैं।

एकात्मक तत्वों का विस्तृत विश्लेषण:

• आपातकालीन शक्तियां: अनुच्छेद 352 के तहत, राष्ट्रपति को युद्ध, बाहरी आक्रमण, राज्य विद्रोह, या वित्तीय अस्थिरता जैसी आपात स्थितियों में घोषणा पत्र जारी करने का अधिकार प्राप्त है। आपातकाल में, केंद्र सरकार को राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है, और राज्य सरकारें केंद्र के अधीन आ जाती हैं।

• राज्यों का निर्माण एवं पुनर्गठन: अनुच्छेद 3 ज्‍यादा शक्तियां प्रदान करता है, जिसके तहत केंद्र सरकार को नए राज्यों का निर्माण करने, मौजूदा राज्यों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करने, और उनके नाम बदलने का अधिकार प्राप्त है। उदाहरणार्थः छत्तीसगढ, उत्तराखण्ड व झारखण्ड इत्यादि राज्यों का नव-निर्माण।

• राज्यपाल की नियुक्ति: राज्यपाल केंद्र सरकार का एक नामित व्यक्ति होता है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और राष्ट्रपति के प्रसाद पर कार्यरत रहता है।

• राष्ट्रीय हित में केंद्र का हस्तक्षेप: अनुच्छेद 249 केंद्र सरकार को राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार देता है। इस दशा में राज्य, संघ के अधीनस्थ हो जाते हैं।

• न्यायपालिका की नियुक्ति: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यदि राष्ट्रपति आवश्यक समझता है तो मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिये सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की सलाह ली जाती है। अन्य न्यायाधीशों को राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश एवं सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के ऐसे अन्य न्यायाधीशों के साथ परामर्श के बाद नियुक्त किया जाता है, यदि वह आवश्यक समझता है। मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त किसी अन्य न्यायाधीश की नियुक्ति के मामले में मुख्य न्यायाधीश के साथ परामर्श करना अनिवार्य है।

• राष्ट्रीय प्रतीक: राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान और सेना पूरे देश में एकात्मकता और राष्ट्रीय भावना का प्रतीक हैं।

• अनुच्छेद 356: यह अनुच्छेद केंद्र सरकार को राज्यों में राज्यपाल शासन लागू करने का अधिकार देता है, यदि राज्य सरकार संविधान का उल्लंघन करती है या कार्य करने में असमर्थ होती है।

• अनुच्छेद 365: अनुच्छेद 365 राष्ट्रपति को उस स्थिति में कुछ कार्रवाई करने का अधिकार देता है जब कोई राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करता है। अनुच्छेद 365 के तहत , राष्ट्रपति इस स्थिति में राज्य सरकार के खिलाफ कोई कदम उठा सकते हैं। राष्ट्रपति एक उद्घोषणा जारी कर सकते हैं कि राज्य ने केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया है। अनुच्छेद 365 के तहत  यदि कोई राज्य सरकार संघ द्वारा दिए गए किसी निर्देश का पालन करने में विफल रहती है तो उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया  जा सकता है।
निष्कर्ष:

भारतीय संविधान, एक संतुलित संघात्मक व्यवस्था स्थापित करता है, जिसमें केंद्र सरकार को राष्ट्रीय एकता और हितों को बनाए रखने के लिए कुछ आवश्यक एकात्मक शक्तियां प्राप्त हैं। ये शक्तियां, आपातकालीन परिस्थितियों, राष्ट्रीय महत्व के विषयों, और राज्यों के बीच समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।