ICA 1872| संविदा अधिनियम, 1872 के अन्तर्गत ‘चलत प्रत्याभूति’ से क्या अभिप्राय है ?

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संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 129 के अनुसार, “चलत प्रत्याभूति” वह प्रत्याभूति है जो केवल एक विशिष्ट लेनदेन तक सीमित नहीं होती, बल्कि भविष्य में होने वाले लेनदेन की श्रृंखला के लिए भी लागू होती है। दूसरे शब्दों में, यह एक ऐसी गारंटी है जो समय-समय पर होने वाले लेनदेन के लिए ज़िम्मेदारी लेती है, न कि केवल एक बार के लिए।

उदाहरण:
दृष्टांत (क):
तथ्य:
• क एक चाय व्यापारी है। ख एक अन्य व्यापारी है।
• क, ख को उस चाय के लिए 100 पौंड तक की गारंटी देता है जो ख, ग को समय-समय पर बेचेगा।
• ग, ख को 100 पौंड से अधिक मूल्य की चाय खरीदता है और भुगतान करता है।
• बाद में, ग 200 पौंड मूल्य की चाय खरीदता है, लेकिन भुगतान करने में विफल रहता है।

विश्लेषण:
• क द्वारा दी गई गारंटी एक चलत प्रत्याभूति है क्योंकि यह भविष्य में होने वाले लेनदेन के लिए भी लागू होती है।
• इसलिए, क, ख को 100 पौंड तक की राशि के लिए भुगतान करने के लिए बाध्य है, भले ही ग ने 200 पौंड की चाय के लिए भुगतान नहीं किया हो।

दृष्टांत (ख):
तथ्य:
• क, ख को आटे के 5 बोरों के लिए गारंटी देता है जो ख, ग को एक महीने के भीतर देगा।
• ग, ख से 5 बोरे प्राप्त करता है और भुगतान करता है।
• बाद में, ख, ग को 4 और बोरे देता है, लेकिन ग भुगतान करने में विफल रहता है।

विश्लेषण:
• क द्वारा दी गई गारंटी एक चलत प्रत्याभूति नहीं है क्योंकि यह केवल 5 बोरों तक सीमित है।
• इसलिए, क, 4 अतिरिक्त बोरों के लिए भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं है।

चलत प्रत्याभूति की विशेषताएं:
• यह भविष्य में होने वाले लेनदेन की श्रृंखला के लिए लागू होती है।
• यह केवल एक विशिष्ट लेनदेन तक सीमित नहीं होती।
• इसे लेनदार द्वारा किसी भी समय सूचना देकर रद्द किया जा सकता है।
• प्रतिभू की मृत्यु पर भी यह स्वतः रद्द हो जाता है।